आँखें बहुत कुछ कहती हैं, इन्हें कुछ लब्जों की तलाश है.. ताउम्र दौड़ती ज़िन्दगी को
चंद ठहरे हुए लम्हों की तलाश है..
आवाजों के इस शोर में
बस तन्हायिओं की तलाश है...
जिस्मो की इस भीड़ से
गुज़रती किसी रूह की तलाश है..
खोये हुए चेहरों में से
किसी एक चेहरे की तलाश है..
इन्हें अब "मैं" नहीं "तुम" नहीं
आज एक "हम" की तलाश है..
excellent..!!
ReplyDelete@ Supriya, Thanks! How you have been?
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